कैसे बनी जोमाटो इतनी बड़ी कंपनी? कैसे मन में आया Zomato का नाम? जानिए।

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Zomato Success Story : दोस्तों आज कल बहुत सारे लोग ज्यादा चलने का नाम नहीं ले रहे हैं। बाहर का कुछ खाना खाने का मन करेगा तो बहुत सारे लोग होटल जाने का नाम नहीं लेते फिर तुरंत फोन उठाएंगे ऐसे बहुत ऐप हैं जो मनपसंद खाने की चुनिंदा कई कंपनी होम डिलीवरी करते हैं उनके पास से आर्डर करते हैं और फिर डिलीवरी बॉय आधा घंटे के अंदर खाना लेके घर पर हाजिर होता हैं। तुरंत यह प्रोसेस होता लेकिन कभी अपने सोचा है कि इस प्रक्रिया को ज्यादा आसान बनाने के पीछे कौन इतनी मेहनत लेता है।

भारत में आज के वक्त में सबसे बड़ी फूड डिलीवरी कंपनी Zomato कंपनी है। यहीं नहीं भारत के साथ-साथ 23 देश में अपना कारोबार कर रही है। जोमैटो कंपनी के मालिक का नाम हैं दीपेंद्र गोयल। जोमैटो कंपनी जीतनी बड़ी हो है उतनी ही ज्यादा मेहनत दीपेंद्र गोयल की है। लेकिन Zomato कंपनी कैसे शुरू हुई? उन्होंने कैसे प्लान बनाया? इसके कंपनी के सक्सेस स्टोरी की आपको जानकारी देनेवाले हैं।

Zomato Success Story

बचपन में पढाई में नहीं लगता था मन

दीपेंद्र गोयल का जन्म पंजाब में हुआ हैं। घर पर माताजी, पिताजी दोनों शिक्षा विभाग से जुड़े हुए थे। इसके बावजूद भी दीपेंद्र गोयल का पढ़ाई में कुछ ज्यादा लगाव ही नहीं था। 5 वी कक्षा में फेल होने के बाद घर वालों का दबाव दीपेंद्र गोयल के ऊपर पड़ा, जिसके बाद उन्होंने अपनी पढ़ाई को सीरियस लिया।

फिर 2005 में आईआईटी दिल्ली से M.Tech करने के बाद दीपेंद्र ने Bain and Company ज्वॉइन की। इस कंपनी में काम करते हुए Zomato का Idea उनके के मन में आया।

Idea कैसे मन में आया ?

कंपनी में काम करते ही एक दिन उन्होंने महसूस किया कि लोग दोपहर में खाने का मेन्यू कार्ड देखने में ही ज्यादा टाइम लगा देते हैं। उनके ऑफिस में सब जानना चाहते थे की आज खाने में क्या हैं इसके लिए लाइन लगाना पड़ता था। फिर उन्होंने सोचा क्यों ना सब मेन्यू की जानकारी लेके इंटरनेट पर डाल दी जाए, जिससे लोग अपने घर बैठे भी पूरे मेन्यू की जानकारी ले सकते हैं।

कंपनी का मेन्यू कर किया ऑनलाइन !

दीपेंद्र गोयलने जिस कंपनी में काम करते थे उस कंपनी का मेन्यू डाटा ऑनलाइन कर दिया। फिर इसके बाद अच्छा रिस्पांस उन्हें मिला। फिर यही से उन्होंने इस बात को ज्यादा मन में सीरियस लेना शुरू कर दिया और कहा कुछ तो मुझे देश में इस तकनीक को लेके करना हैं।

फिर उन्होंने अपने दोस्त प्रसून जैन के साथ मिलकर फूडलैट वेंचर की शुरुआत कर दी। दीपेंद्र गोयल ने सोचा की दिल्ली वाले घर बैठकर किसी संबंधित नजदीक रेस्टोरेंट के बारे में पता करेंगे और वही कितने रुपए में कौनसी डिश मिल रही है। फिर कुछ कारण दोस्त प्रसून जैन ने दीपेंद्र गोयल का साथ छोड़ दिया इसी कारण फूडलैट वेंचर का सफर धीमा हो गया।

दूसरा दोस्त बना टर्निंग पॉइंट

फूडलैट वेंचर का सफर धीमा होने के बाद धीरे-धीरे समय चलता गया और फिर दीपेंद्र गोयल की लाइफ दूसरे दोस्त पंकज चड्ढा का एंट्री हुआ। तब दोनों ने साल 2008 में FoodiEBAY ऑनलाइन पोर्टल की शुरूआत की। इस पोर्टल पर रेस्टोरेंट की सब जानकारी के साथ-साथ अब उनके लिए रेटिंग भी कर सकते थे।

फूडीबे ऑनलाइन पोर्टल में उन्होंने दिल्ली के 1200 रेस्टोरेंट के सब मेन्यू डाले। इसी कारण ऑनलाइन पोर्टल ज्यादा फेमस होने लगा और सिर्फ 2 साल में आते-आते फूडीबे भारत के अन्य कुछ शहरों में भी पहुंच चुका था। यहीं से इनके बिजनेस का बड़ा सफर चालू हुआ।

Zomato नाम कैसे पड़ा ( Zomato Success Story )

दीपेंद्र गोयल ने FoodiEBAY ऑनलाइन पोर्टल दिल्ली और अन्य शहरों में फेमस होने के बाद अपनी इस कंपनी को आगे लेवल पर ले जाने का विचार किया, लेकिन कंपनी को आगे बढ़ाने के लिए फंडिग की समस्या दोनों दोस्तों मन में सता रहीं थी।

फिर दीपेंद्र गोयल के पत्नी को जॉब मिला उसके बाद दीपेंद्र गोयल ने अपनी नौकरी छोड़ दी और पूरी तरह से फूडीबे पर ज्यादा ध्यान देने लगे। फिर 2010 में उन्होंने कंपनी का नाम बदलकर Zomato कर दिया। जोमैटो नाम लेने के पीछे कुछ बड़ी कहानी नहीं, बस टोमेटो के नाम से Zomato बना दोनों एक जैसे लगते हैं यही से Zomato नाम की शुरुआत हुई।

Zomato कंपनी का विस्तार में किसकी मदत

Zomato कंपनी का विस्तार बढ़ाने के लिए फंडिग की बहुत जरूरत थी तब naukri.com के Founder संजीव सर सामने आए, जिन्होंने जोमैटो को साल 2010 में 1 मिलियन डॉलर का फंड दिया।

आपको बता दें कि 37 फीसदी शेयर संजीव सर के पास ही हैं। फिर उसके बाद साल 2013 में कंपनी को कई नए निवेशक मिले, उन्होंने बहुत सारा फंड दिया इस वजह से कंपनी के पास फंड 223.8 मिलियन डॉलर का हो गया, मतलब भारत के रुपए की बात करें तो 18 करोड़ 57 लाख के करीब सब फंड जमा हो गया।

Jio ने बढ़ा दी Zomato की रफ्तार

फिर कुछ साल में ही Zomato के सफर में Jio का एंट्री हुआ। Jio के आते ही देश में टेलीकॉम सेक्टर में एक क्रांति आ गई फिर देश में हर किसी के पास फ्री में डाटा उपलब्ध था, और 3G हाई स्पीड। उस वक्त देश के लोग ऑनलाइन पोर्टल पर जल्दी शिफ्ट हो रहे थे। इसका फायदा जोमैटो को ज्यादा मिला।

दीपेंद्र गोयल ने Zomato के वेबसाइट को चेक किया देखा तो सबसे ज्यादा लोग इसपर विजिट कर रहे हैं। फिर उनके मन आया की क्यों ना इसका एक मोबाईल ऐप बनाया जाए। ताकि लोग आसानी से सब चीजों को देखें।

Food Delivery का प्लान कैसे बना

Zomato ऐप बनाने के बाद कंपनी ने दूसरे नए प्लान पर काम करना शुरू किया। Zomato Success Story मिलता हुआ लोगों का प्यार और दीपेंद्र गोयल और पंकज चड्ढा की ज्यादा मेहनत जोमैटो कंपनी में रंग ला रही थी। फिर दोनों ने सोच लिया की फूड की डिलीवरी करने में अब शुरुआत करनी चाहिए।

फिर फूड की डिलीवरी करने की शुरुआत कर दी। देशभर में लोग सिर्फ अपने शहर में संबंधित रेस्टोरेंट में Zomato ऐप के जरिए खाना ऑर्डर करेगी और डिलीवरी जोमैटो कराएगी। जोमैटो ने इस निर्णय को सही साबित किया और अपना सक्सेस बिजनेस तेजी से बढ़ना शुरू हुआ।

जोमैटो ऐप से Food Delivery के इस नए प्लान के बाद तो जोमैटो ने पीछे मुड़कर देखने का नाम नहीं लिया। हर साल कई गुना प्रॉफिट कंपनी करते करते एक समय में Share Market पर भी Zomato लिस्ट हो गई। आज के वक्त में जोमैटो कंपनी का शेयर निवेशकों को हजारों लाखों की कमाई कर रहा है।

भारत देश में Zomato Food Delivery सक्सेस होने के बाद दुनिया में 23 देश में जोमैटो इस समय अपनी सर्विस दे रही है। इसका मतलब सिर्फ 2 लोगों से शुरू हुई एक कंपनी आज 20 से अधिक करोड लोगों की जान बन चुकी है। साथ में जोमैटो में 4000 से ज्यादा वर्कर काम कर रहे हैं।

तो यह बिजनेस सक्सेस स्टोरी हैं जो बचपन में पढाई में मन नहीं लगता था उसने आगे दृढ़ निश्चय और मेहनत से एक दोस्त के साथ मिलकर फूडीबे को Zomato Food Delivery जैसी बड़ी कंपनी बना कर बड़ा मुकाम हासिल किया।

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